जालंधर ,ब्यूरो : कांग्रेस सरकार के समय तत्कालीन विधायक परगट सिंह ने छावनी विधानसभा क्षेत्र के तहत आते 12 गांवों को निगम सीमा में शामिल करवा लिया था जिस कारण सरकार को जालंधर नगर निगम की वार्डबंदी नए सिरे से करनी पड़ी और इसी कारण नगर निगम के वार्ड भी 80 से बढ़कर 85 किए जा रहे हैं। नगर निगम के वार्डों की नई वार्डबंदी करने की प्रक्रिया दौरान सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों ने खूब लापरवाही बरती जिसका खमियाजा अब सरकार को भुगतना पड़ रहा है और इस कारण भी निगम चुनाव में देरी होती चली जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि कुछ गांव ऐसे हैं जिनके लाल लकीर में आते क्षेत्र की तो वोटें बना दी गई परंतु कुछ गांवों की बाहरी कॉलोनियों की वोटों को वोटर सूची में डाला ही नहीं गया। खुसरोपुर और सोफी पिंड इत्यादि में इस बाबत लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं और गांव निवासियों ने तो आगामी चुनाव के बायकाट तक की घोषणा कर डाली है।
सूत्र बताते हैं कि निगम सीमा में आने के बावजूद कई गांवों के करीब 40-50 हजार लोग निगम चुनाव में वोटें डाल ही नहीं सकेंगे। अब वार्डबंदी संबंधी हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले पक्ष वोटर सूचियां की इंतजार में हैं ताकि इस मामले को भी उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सके।
जनगणना को नहीं बनाया गया नई वार्डबंदी का आधार
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले पक्ष को ऐतराज है कि सरकार ने नई जनगणना को नई वार्डबंदी का आधार नहीं बनाया है और अपने स्तर पर ही पापुलेशन सर्वे करवा लिया गया। जालंधर निगम में तो 3 बार ऐसा सर्वे होने की सूचना है जिस संबंधी सारा रिकॉर्ड जुटा लिया गया है। इस मामले को भी अदालत में चुनौती दी जा रही है कि जनगणना सर्वे में सरकार और सरकारी अधिकारियों ने संजीदगी नहीं दिखाई और पूरा डाटा भी नहीं जुटाया गया । सूत्र बताते हैं कि 3 बड़े नगर निगमों में जनसंख्या सर्वे की चेकिंग दौरान लाखों वोटो का फर्क निकला जिस बाबत हाई कोर्ट को भी सूचित किया जा रहा है।
कई वार्ड छोटे तो कई बड़े बना दिए गए
वार्डबंदी में लगे सरकारी अधिकारियों ने किस प्रकार सत्ता पक्ष के नेताओं के कहने पर काम किया, इसकी मिसाल इसी बात से मिलती है कि जालंधर निगम में कई वार्ड तो 10,000 से ज्यादा वोटों वाले बना दिए गए जबकि कुछ वार्ड ऐसे हैं जहां वोटरों की संख्या 3000-3500 के आसपास है। याचिकाकर्त्ताओं का कहना है कि वोटरों की संख्या में 10 प्रतिशत से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए परंतु वार्डबंदी में यह अंतर 3 गुना से भी ज्यादा रखा गया है जो असंवैधानिक है और पक्षपात पूर्ण भी।
Edited By : The Daily Bharat Express- Desk
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